वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
मूषिकवाहन् मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बित सूत्र ।
वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक पाद नमस्ते ॥
यह मेरे जीवन का पहला ब्लॉग है| में अपने इस पहले ब्लॉग में भगवान श्री गणेशजी से प्रार्थना करतीहू की आज से इसका शुभारम्भ हो | "गणपति बप्पा मोरिया "| इसी अवसर पर में गणेशजी की आरती अपने ब्लॉग पर
लिखना चाहूंगी|
लिखना चाहूंगी|
जय गणेश जय गणेश जय गणेशा देवा
माता जाकी परवाथि पिता महादेव ||
एक दंत दयावन्त, चार भुजा धरी
मथेपे सिंधूर सोहे मूसे की सवारी
जय गणेश जय गणेश जय गणेशा देवा
माता जाकी परवाथि पिता महादेव ||
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया ,
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया |
फल छडे, फूल छडे, और छडे मेवा
लड्दुवन को भोग लगे संत करे सेवा
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया |
जय गणेश जय गणेश जय गणेशा देवा
माता जाकी परवाथि पिता महादेव ||
फल छडे, फूल छडे, और छडे मेवा
लड्दुवन को भोग लगे संत करे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेशा देवा
माता जाकी परवाथि पिता महादेव ||
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