Saturday, October 23, 2010


वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥




मूषिकवाहन् मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बित सूत्र ।
वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक पाद नमस्ते ॥


यह मेरे जीवन का पहला ब्लॉग है| में अपने इस पहले ब्लॉग में भगवान श्री गणेशजी से प्रार्थना करतीहू की आज से इसका शुभारम्भ हो | "गणपति बप्पा मोरिया "| इसी अवसर पर में गणेशजी की आरती अपने ब्लॉग पर 
लिखना चाहूंगी|


जय गणेश जय गणेश जय  गणेशा देवा 
माता जाकी परवाथि पिता महादेव ||

एक दंत दयावन्त, चार भुजा धरी
मथेपे सिंधूर सोहे मूसे की सवारी

जय गणेश जय गणेश जय  गणेशा देवा 
माता जाकी परवाथि पिता महादेव ||

अंधन को  आँख देत, कोढ़िन को काया ,
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया |




जय गणेश जय गणेश जय  गणेशा देवा 
माता जाकी परवाथि पिता महादेव ||


फल छडे, फूल छडे, और  छडे मेवा 
ladduan


Paana Carhe, Phuula Carhe 

Aura Carhe Mevaa
Ladduana Ko Bhoga Lage
Samita Karen Sevaa
Jai Ganesha...







No comments:

Post a Comment